आज ब्लॉग पर पहले तो बिस्मिलजी के बलिदानदिवस पर आयोजित काव्य गोष्ठी का समाचार पढ़ा उसमें सारे परिचित नामों के बीच एक नया-सा नाम पढ़ा,जिज्ञासा हुई इनके बारे में जानने की। पहले सोचा कि क्या ये वही गौड़ साहब है जिनके गौड़ग्रीन के होर्डिंग्स कई बार पढ़ने को मिले हैं। बाद में पंडित सुरेश नीरव ने अपनी पोस्ट में इस का खुलासा कर ही दिया कि ये वही गौड़ साहब हैं। यह खुशी की बात है कि एक इतने व्यस्त व्यक्ति तमाम भागदौड़ के बाद साहित्य के लिए समय निकाल लेते हैं। यह एक प्रेरक बात है। हम साहित्य मनीषी श्री बी.एल. गौड़ साहब का जयलोकमंगल में स्वागत करते हैं।
डॉक्टर मधु चतुर्वेदी
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