जिस्म तो नीरव है तेरा पल रहा कोई और है
क्या गज़ल कही है, !!
कौन् कहता है गज़लों में "
जिस्म तो नीरव है तेरा पल रहा कोई और है॥"
पंडित नीरव ही कह सकते हैं!
यदि जिस्म नीरव हो जाए तो शान्ति का अमृत सुलभ हो जाए ।
किन्तु आम आदमी के लिये तो :
'आत्मा तो नीरव है तेरी, पल रहा कोई और है'
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