यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
Search This Blog
Tuesday, December 28, 2010
जिस्म तो नीरव है तेरा पल रहा कोई और है
क्या गज़ल कही है, !! कौन् कहता है गज़लों में "जिस्म तो नीरव है तेरा पल रहा कोई और है॥" पंडित नीरव ही कह सकते हैं! यदि जिस्म नीरव हो जाए तो शान्ति का अमृत सुलभ हो जाए । किन्तु आम आदमी के लिये तो : 'आत्मा तो नीरव है तेरी, पल रहा कोई और है'
No comments:
Post a Comment