"नीरव "जी घिर गए थे ! यथार्थ मेडिटेशन की आध्यात्मिक
प्रयोगशाला से "नीरव "जी निहार रहे थे या प्रकृति ही उतर
आयी थी और वाध्य कर रही थी उनकी लेखनी को ! सच तो
सच ही जाने ! साहित्य दोनों का आभारी है !............योगी
कर भलाई भूल जाना ये जमीं से सीखिए
फर्ज़ धरती ने निभाया फल रहा कोई और है.
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