में आज धर्मशाला पहुँच गया हूँ .श्री प्रशांत योगी जी की स्प्रिचुअल लैब में एक अजीब सा एहसास जी रहा हूँ . चारों ओर कुदरत के नज़ारे हैं .और मैं हूँ. दिल्ली की भागम भाग भरी जिन्दगी से थोडा सुकून महसूस कर रहा हूँ . प्रशांतजी के आत्मीय आतिथ्य से भाव विभोर हूँ. और सोच रहा हूँ की यहाँ पहले क्यों नहीं आया . सोचता हूँ की कुछ ताज़ी हवा,कुछ हरियाली ,कुछ खुशबू अपने साथ ले जाऊं . पर ये मुमकिन कहाँ . चलिए इन सब को अपनी रूह में बाबस्ता कर लेता हूँ. आज बस इतना हीं.
पंडित सुरेश नीरव
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