यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Monday, December 13, 2010
सच बोलने में दिमाग की जरूरत कहां होती है।
नीरव जी
अब मै बड़ी दुविधा में पड़ गया हूं !
आपने इतना विद्वत्तापूर्ण व्यंग्य लिखा है कि आप सबसे बड़े झूठे हैं।
और वह इतना सत्य है
कि आपकी परिभाषा के अनुसार आपके पास दिमाग नाम की फ़ालतू सी चीज़ बिलकुल नहीं हो सकती।
राजा जी की आई है बारात
और शासन की रंगीली रात
मोबाइल वाले वाले नाचेंगे !!
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