प्रतिक्रिया-
अरविंद पथिकजी आपको बधाई...
पंडितजी ने बताया है कि कल आपने गोष्ठी का बहुत ही सफल संचालन किया और बिस्मिल चरित से फासी से पूर्व व्यायाम करते हुए बिस्मिलजी से जेल कर्मचारी के यह पूछने पर कि एक धंटे बाद आपको फांसी लगनेवाली है फिर आप काहे को कसरत कर रहे हैं और उस पर बिस्मिलजी का ये कहना कि जिस शरीर ने मेरा अभी तक साथ दिया है उसकी देखभाल मैं बीच में नहीं छोड़ सकता,बहुत ही मार्मिक प्रसंग लगा।मुकेश परमार
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