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Wednesday, January 19, 2011

जयलोकमंगल का कारवां

अभी एक घंटे पहले ही घर आय़ा हूं। एक सप्ताह के विदेश प्रवास से जैसे ही भारत लौटा वहीं विमानतल से सीधा वाराणसी की उड़ान लेकर सर्वभाषा कवि सम्मेलन में शरीक होनें सीधा बनारस पहुंच और दो दिन के वहां के कार्यक्रम से मुक्त होकर आज घर पहुंचा हूं। आते ही ब्लॉग देखा मैं आभारी हूं-
श्री विश्वमोहन तिवारी,डॉ.मधु चतुर्वेदी,प्रशांत योगीजी,भगवानसिंह हंस,नागेन्द्र पांडेय और कवयित्री मंजुऋषि का जिन्होंने मेरी अनुपस्थिति में भी जयलोकमंगल के कारवां को गतिमान रखा।
आज पहले बनारस की रपट पेश कर रहा हूं। इजिप्ट के संस्मरण एक ब्रेक के बाद..
पंडित सुरेश नीरव

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