आज लौटकर जब आया तो सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार डॉक्टर नागेश पांडेय को जयलोकमंगल परिवार के नए सदस्य के रूप में देखा। मन प्रसन्न हुआ ये देखकर। एक सक्रिय सदस्य का और इजाफा हुआ। बहुत पहले भाई अरविंद पथिक ने चर्चा की थी। और फिर मामला आया-गया हो गया। और फिर अचानक उनकी आमद देककर सुखद आश्चर्य हुआ। उम्मीद है कि वे ब्लाग पर लिखते-दिखते रहेंगे।
उन्हें बधाई...
फिर एक तस्वीर देखी सुकवयित्री मंजुऋषि की। श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया से पुरस्कार लेते हुए। अभी से सम्मानों का सिलसिला जो शुरू हुआ है यह सिलसिला मंहगाई की तरह दिन-दूना और रात चौगुना बढ़े मेरी शुभकामनाएं और जयलोकं मंगल की ओर से बधाई..कविताएं भी अच्छी लगीं।
इधर कविवर अरविंद पथिक ने अमर शहीद अशफाकउल्ला खान की कविता जो दी है वह, पढ़ी आनंद आ गया। दुर्लभ कविता है।
श्री विश्नमोहन तिवारीजी का भोगवाद पर आलेख पढ़ा इस पर तसल्ली से अपनी प्रतिक्रिया दूंगा।
डॉ.मधु चतुर्वेदी की ग़ज़ल शेरियत की ग़ज़ल है। हर शेर हासिले ग़ज़ल है।
श्री प्रशांत योगीजी की प्रेम पर टिप्पणी सूत्र वाक्य है। श्री भगवान सिंह हंस का भरत चरित हमेशा की तरह ऐतिहासिक है।
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