Search This Blog

Saturday, January 22, 2011

बेचैनी की कोई बात नहीं



प्रशांतजी!ब्लॉग पर कई बार लोगों द्वारा काफी आलेख और टिप्पणियाँ लिखी जाती हैं और कई बार कोई भी नहीं लिख पाता है। उनकी अपनी विवशता हो जाती होगी जो नहीं तो वे ब्लॉग देख ही पाते हैं और नहीं लिख पाते हैं। सब अपनी-अपनी विवशताओं में से समय ब्लॉग के लिए देते हैं एक तारतम्य बनाने के लिए, आपस में एक दूसरे से मिलने के लिए और समय अंतराल कम करने के लिए क्योंकि आज लोगों के पास समय का अभाव हैं। जिंदगी की इस व्यस्त गली में किसके पास समय है जो अमुक व्यक्ति से अमुक समय पर बैठकर दो-चार घंटे गप्प -सटाके मार सके या अपनी बीती कह सके। समय के साथ-साथ आदमी भी भागम-भाग में लगा है। अपने लिए ही उसके पास समय नहीं है दूसरों का तो तब लिखेगा। मैं स्वयं एक हफ्ते ब्लॉग से वंचित रहा, न ब्लॉग पर देख सका और न लिख सका। ब्लॉग पर न लिखने वालों की भी विवशता रही होगी। अब विश्व मोहन तिवारी एक हफ्ते के लिए बाहर जा रहे हैं। वे ब्लॉग से वंचित रहेंगे। ब्लॉग से जुड़े सभी महानुभाव बड़े नेक और समझदार हैं और सभी पढ़े लिखे हैं। वे अपना ब्लॉग स्वयं लिखते हैं और पढ़ते हैं। मेरा तो सभी से यही आग्रह है कोई किसी के प्रति न कटु लिखे और न कटु बोले। बात को अन्यथा न ले जाएँ। सभी स्नेह से ब्लॉग पढ़ें और लिखें। ब्लॉग आपका अपना है। श्री नीरवजी विद्वान हैं, शब्द पारिखी हैं और सभी उनका सम्मान करते हैं और करना भी चाहिए क्योंकि उन्होंने हमें इस लाइक बनाया कि हमारी बात की कदर हुई। यही नहीं ब्लॉग के सभी योग्य और सम्माननीय सदस्य हैं। आज इस भागम-भाग की व्यस्त गैलरी में कौन किसको पूछता है। मेरा पुनः आग्रह है कि सभी स्नेह से मिलें और लिखें अपना गिला-शिकवा दूर करके। आप इसको दिल से न लगायें , मन्त्र से संजोयें। यह हम सबका एक पारिवारिक मंच है। पुनः अपने स्नेह को संजोते हुए ब्लॉग पर एक मिठास लाइए। नमन । जय लोकमंगल।
-भगवान सिंह हंस

No comments: