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Monday, January 24, 2011

शब्द जो है ब्रह्म

कविता-
 
शब्द जो है ब्रह्म
वह
जिनकी शिराओं के
उफनते रक्त के उफान के बल पर
बह रहा है मुक्त होकर
और जो
बन नहीं पाया कभी भी
ब्रह्मराक्षस ...
समर्पित है
राष्ट्र के उन महावीरों को,
जन्म लेते हैं जो
देश की माटी के हित
और मुस्काते हुए
सहजता से समा जाते हैं
उसी पावन धरा में
जिनके कारण शब्द हैं
हम हैं
और है देश यह.

देश के उन सैनिकों को
है मेरा शत-शत नमन.

गणतंत्र दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं.
डॉ हरीश अरोड़ा
09968723222, 0981168714

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