पालागन,आदरणीय श्री ओम प्रकाश चांडालजी। आपकी आत्मसात करने वाली व तन को महकती सुगंध से भरने वाली प्रतिक्रया को ह्रदयंगम करता हूँ और आपके प्रति सह्रदय आभार व्यक्त करता हूँ । आपके आलेख भी मैं पढ़ता रहता हूँ। आपके आलेख बड़े सारगर्वित ,ज्ञानवर्धक एवं सराहनीय होते हैं। उन्हें पढ़कर बहुत ही आनंद आता है। आप ऐसे ही लिखते रहें। पालागन।
भगवान सिंह हंस
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