जगदीश परमारजी
हे स्वतंत्रता सेनानी! हमार ह्रदय की पुकार।
गूँजती तालियों से आपका करते सत्कार ।
तुमने खायी फिरंगियों से लाठियों की मार।
प्रबल वीर बहादुर तुमने दिया उन्हें निकार
जोश- रोश वाणी तेरी दहका हर घर द्वार ।
क्रान्ति के पथ में जैसे दमके खंग तलवार।
काव्य शिरोमणि हे श्री जगदीश परमार।
काव्यांजलि से भरा भारत मां उदगार।
हम करते हैं तिहारा स्वागत -सत्कार ।
-भगवान सिंह हंस
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