विश्ववन्दित शब्दमनीषी पंडित सुरेश नीरवजी आज से होने जा रहे अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन मिश्र में अध्यक्षता करेंगे और अपने अध्यक्षीय भाषण से विश्व को संबोधित करेंगे। शब्द को नीरवजी नहीं ढ़ूढ़ते हैं बल्कि शब्द उनको ढ़ूढ़ते हैं। शब्द इंसान को पहिचानता है या उसको तलाशता है। यदि उसको कहीं इंसान मिल जाये तो वह शब्द अपने को धन्य समझता है। उसकी भाषा अपनी होती है। क्योंकि भाषा माध्यम है। सभी शब्दों से बतियाते हैं। लेकिन शब्द की गहराई में उतरकर गोता लगाना हर किसी के लिए दुर्लभ है चाहे कोई महाकाव्य रचनाकार हो या कोई पत्रकार हो या कोई कवि को या कोई गद्यकार को या कोई व्यंग्यकार को। पंडित सुरेश नीरवजी तो वह भर्ग हैं जिससे शब्द चमकता है जिसको बिरला ही जान पाता है। आपकी मंगलमय यात्रा की कामना करता हूँ। पालागन।
भगवान सिंह हंस
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