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Saturday, January 22, 2011

नेताजी के बारे मे कुछ शोधपरक जानकारियां


आदरणीय गौड साहब की आवाजों वाला घर कविता पढकर एक ख्याल आया कि हमारे देश मे दरिद्र नारायण की परिक्पना ने साहित्य और समाज का कितना अहित किया है।अगर गौड साहब फटाकुरता पाजामा पहनने वाले कम्युनिष्ट मार्का कवि होते तो ऊनके ये गीत ,कविता उन्हें महान साहित्यकार सिध्द कर देते पर चूंकि उन पर सरस्वती के साथ लक्षमीजी की भी क्रपा है अतः उनका मूल्यांकन होने मे समय लगेगा।
नीरवजी के मिश्र के संस्मरण रोचक हैं नीरवजी भी कुछ हद तक उसी विसंगति के शिकार हैं जिसके गौड साहब ।अपने समय के इस निराला को भी क्या हम लोग तभी समझ पायेंगे जब वह नही होगा।
मित्रों,कल २३ जनवरी है,नेताजी का जन्मदिन। तय तोहमने किया था इसे धुमधाम से मनाने का पर किसी ने गजेसिंह त्यागी जी को कह दिया कि उस दिन मुसलाधार बरसात होगी सो हम लोग आदरणीय गौड साहब की अध्यक्षता मे होने वाले एक शानदार कार्यक्रम से वंचित रह गये।
इस अवसर पर नेताजी को हिंदुओ के पवित्रतम तीर्थों मे से एक नैमिषारण्य मे मनाने का निश्चयकर कल सुबह ही मै प्रस्थान कर रहा हूं अतः

नेताजी के जन्मदिन की बधाई।
नेताजी के बारे मे कुछ शोधपरक जानकारियां जो मैने क्रांतिकारी साहित्य के अध्ययन के दौरान पायीं वे आपसे साझा कर रहा हूं;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
--------------जापानियों ने इंडियन लीजन के कैप्टन मोहनसिंह को पुलाऊ ऊविन द्वीप पर कैद कर रखा था।तीन सिख सिपाहियों ने जान खतरा उठा कर मोहनसिंह से भेंट की ।फिर किसी तरह वे डा० डी०एस० राजू जोकि नेताजि के निजी चिकित्सक थेसे मिले और बताया कि मोहनसिंह मलेरिया से पीडित थे।डा० राजु के प्रयासों से मोहनसिंह की मुलाकात नेताजी से हुई।मोहनसिंह ने जापानियों के विश्वासघात कि कथा नेताजी को सुनाई और कहा कि वे अपने अनुभव के आधार पर कह सकते कि जापानी आई० एन० ए को आधुनिक हथियर नही देंगे।
-------------------------------------गुजरात मे पालमपुर रियासत के नाथालाल पारिक फारवर्ड ब्लाक के खजांची थे।पालमपुर मे नेताजी से बात करने हेतु शीलभद्र याजी ने वायरलेस लगाया था।शीलभद्र याजि ने नवंबर १९४३ मे इस वायरलेस से नेताजी से बात कि।याजि को सिगापुर बुलाया।उडीसा कि चिल्का झिल और समुद्रतलके बिच पनडुब्बि पहुची।सात दिन मे याजी उस पनडुब्बी से सिंगापुर पहुंचे।वहां उनकी ढाई घंटे नेताजी से बातचीत हुई।वापस उसी पनडुब्बी से वे वापस आये और भूमिगत लोगों की बैठक बंबई मे बुलाकर नेताजी कि योजनाओ के लिए सहयोग मागा।इस बैठक मे राममनोहर लोहिया,साने गुरूजि मुकुदलाल एवम त्रैलोक्यनाथ चक्रवर्ति उपस्थित थे।लोहिया ने कहा सुभाष की मदद नही करूंगा बल्कि लडूगा।सुभाष की मदद करने से पावर फारवर्ड ब्लाक के हाथ मे चला जायेगा।इस पर शीलभद्र याजी ने कहा आजादि देश कि होगी व्यक्तिगत नही ।इस पर लोहिया याजी से हाथापाई पर उतर आये साने गुरूजि ने उन्हे पकड लिया बडी मुस्किल से बीचबछाव हुआ।
त्रैलोक्यनाथ चक्रवर्ती ने आर० एस० एस० के नेता हेडगेवार से बात कि और कहा कि यदि आपके ६०००० स्वयंसेवकों क्राति मे उतर पडे तो नेताजी का कार्य सुगम हो जायेगा।
इसपर हेडगेवार का उत्तर था-------------
हमारे संगठन मे शिशु और अनाडी लोग हैम वे अभी क्रांति के लिए उपयुक्त नहीं है।
कीरत पार्टी को छोडकर कोई भी सोशलिस्ट, कांग्रेसी,आदि इत्यादि सहयोग के लिए तैया नही हुआ।

क्या आज भी इन सबकी सोच ऐसी ही नही है।
जयहिंद ,जय सुभाष।
अरविंद पथिक

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