यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Saturday, February 5, 2011
युगवाणी - १
वादों में अपवाद शेष हैं, मादों में उन्माद शेष हैं,
दु:शासन के इस गणतंत्र में, संसद के अवसाद शेष हैं।
भारत की इस कर्मभूमि पे, धर्म नहीं! बस अधर्म शेष हैं,
है युगवाणी इक युगहंस की, हर अर्जुन में एक कृष्ण शेष हैं।
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