


शब्दऋषि पंडित सुरेश नीरवजी की दो मार्मिक व्यंग्यात्मक गजलें एवं भोपाल व ग्वालियर की यात्रा-संस्मरण पढ़े। बड़ा आनंद आया।
डा० मधु चतुर्वेदीजी जो एक सुविख्यात कवयित्री हैं, की उल्लू और गधे पर सुन्दर टिप्पणी। बहुत अच्छी लगी।
प्रशांतयोगीजी जो एक यथार्थ प्रेम में अपनी ध्यान समग्रता लगाए रहते हैं की घ्रणा हो ही क्यों। बहुत लगा। लोकों का ध्यान यथार्थ प्रेम की ओर आकर्षित किया। बहुत ही सुन्दर बात है।
एक साथ तीनों के दर्शन हुए। आपको बहुत बधाई। प्रणाम। जय लोकमंगल।
भगवान सिंह हंस
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