आज ब्लॉग पर नीरवजी की रचना गुस्सा गधे को आ गया और हास्य ग़ज़ल कश्मीर के पास पढ़ी मजा आ गया। मकबूलजी की गजल बहुत दिनों बाद पढ़ने को मिली और अरविंद चतुर्वेदी का व्यंग्य अच्छा लगा। श्री भगवानसिंह हंस की टिप्पणियां बहुत दमदार और बफादार होती हैं। श्री प्रशांत योगीजी का राबिया पर आलेख जानकारी पूर्ण है। सभी साथियों को जयलोकमंगल और पालागन।
हीरालाल पांडेय

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