यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Tuesday, February 8, 2011
सत्य को तलाशती कविता
मंजुऋषि
आपकी कविता के बोल सत्य के दर्द को तलाश रहे हैं , बहुत ही पसंद आयी। आपको बहुत-बहुत बधाई। आपकी कल्पना के आभास की पराकाष्ठा की पंक्ति देखिए-नर्म नर्म आहट पर पांव चल रहे होंगे।
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