यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Monday, February 28, 2011
ये सांझ मेरी असनाई में कुछ यादें और सजा दे तू...
ये सांझ मेरी असनाई में कुछ यादें और सजा दे तू... वो दूर रहे चाहे जितना मिलने की आस बंधा दे तू॥ दुख देख मेरे जग हंसता है... मेरे भी होंठ मचलते है... अंतर दोनों के हिलने में... मुझकों भी हंसना सिखला दे तू... मनोज दीक्षित सहारा समय
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