यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Wednesday, February 2, 2011
जल्दी आ रहा है जयलोकमंगल की सदस्य मंजुऋषि का नया काव्य-संग्रह- मन के भी होता है मन
बधाई
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