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Monday, March 7, 2011

मम स्वामी को बता बयारा। तरु लता को भी मम इशारा।

श्री भगवान सिंह हंसजी 
आपके बृहद भरत चरित को पढ़कर बड़ा सात्विक आनंद आता है। आज का प्रसंग तो बहुत ही भावुक है। आपको बहुत बधाई.
पंडित सुरेश नीरव
हा स्वामी! बिलोक इस ओरा। रावण को दो दंड कठोरा। ।
जोर जोर से सीय विलापा । क्रूर ने दिया बहु संतापा। ।
हा स्वामी! इस देखो। इस रावण को कठोर दंड दो। सीता जोर- जोर से इस तरह विलाप कर रही है उस क्रूर ने मुझे बहुत दुःख दिया है।
मम स्वामी को बता बयारा। तरु लता को भी मम इशारा। ।
हे गोदावरी! मम प्रणामा। स्वामि से कहो हरी स्वभामा। ।
हे बयार! तू जाकर मेरे पति को बता दे। हे तरु-लता! मैं तुम को भी इशारा करती हूँ। हे गोदावरी! मैं तुझे भी प्रणाम करती हूँ। तुम सब जाकर मेरे स्वामि को कहो कि प्रभु! तुम्हारी पत्नी का रावण ने हरण कर लिया है।

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