आदरणीय पंडित सुरेश नीरवजी,
आपका संचालन त्रिवेणी सभागार में सुना। मंत्रमुग्ध हो गया। इतना स्तरीय संचालन मैंने पहले कभी नहीं सुना जबकि कवि सम्मेलनों में बहुधा जाता-रहता हूं। आपके लिए सुकवि उदयप्रताप सिंह ने मंच से जो यह घोषणा की कि पंडित सुरेश नीरव की जिव्हा पर सरस्वती विराजती है, सही कहा। और गीतकार सोमठाकुर का यह बयान कि जिंदगी में हजारों कवि सम्मेलनों में रचना पाठ किया है मगर इतना सारगर्भित संचालन मैंने पहले कहीं नहीं देखा। और आकाशवाणी के निदेशक लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने जब ये कहा कि वो देखें...हजारों रुपए लेकर चुटकुले सुनाकर कवि सम्मेलन करनेवाले देखें कि कवि सम्मेलन क्या होता है। सुरेश नीरवजी का नाम संचालन के लिए मैंने ही अनुशंसित किया था। मुझे फख्र है कि मैंने गलत फैसला नहीं किया था।
और डॉक्टर कुअंर बैचैन का यह कहना कि- पंडित सुरेश नीरव शब्दों को सिद्ध कर चुके हैं। और हर बार ही लगता है कि इस बार का इनका संचालन अभी तक के संचालन में सबसे बढ़िया है मगर अगली बार फिर कहना पड़ता है कि अबकी बार का संचालन पहले सभी संचालनों से बेहतर है। ये हर बार बहतर से बेहतर ही रहते हैं।
ये टिप्पणियां दर्शाती हैं कि शब्द के जरिए आदमी कितना सम्मान पा सकता है।
आपको आपके अंतरंग क्षणों की छवि-स्मृतियों के साथ
मेरे अनेकानेक प्रणाम..
ओमप्रकाश
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