यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
ग़ज़ल - हवा का काम है जलते चरागों को बुझाने का हवा का काम है जलते चरागों को बुझाने का हमारा फ़र्ज़ है अंधियार में दीपक जलने का
हमें महसूस करना हो तो आँखें बंद कर लेना पता कुछ भी नहीं होता फकीरों के ठिकाने का
हुए सब ख्वाब गायब, चैन गायब, हम परेशां हैं मिला है ये सिला हमको किसी से दिल लगाने का
गुज़र जाती है सारी उम्र रिश्ते आजमाने में हमें मिलता कहाँ है वक़्त खुद को आजमाने का
असर कुछ यूं हुआ मायूसियों का जिंदगानी पर बहाना ढूंढूंते है आजकल हम मुस्कुराने का __________________________________________ कवि दीपक गुप्ता 9811153282 www.kavideepakgupta.com
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ग़ज़ल - हवा का काम है जलते चरागों को बुझाने का
हवा का काम है जलते चरागों को बुझाने का
हमारा फ़र्ज़ है अंधियार में दीपक जलने का
हमें महसूस करना हो तो आँखें बंद कर लेना
पता कुछ भी नहीं होता फकीरों के ठिकाने का
हुए सब ख्वाब गायब, चैन गायब, हम परेशां हैं
मिला है ये सिला हमको किसी से दिल लगाने का
गुज़र जाती है सारी उम्र रिश्ते आजमाने में
हमें मिलता कहाँ है वक़्त खुद को आजमाने का
असर कुछ यूं हुआ मायूसियों का जिंदगानी पर
बहाना ढूंढूंते है आजकल हम मुस्कुराने का
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कवि दीपक गुप्ता
9811153282
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