यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Tuesday, March 8, 2011
शत शत नमन
आदरणीय पंडितजी पालागन। मैं आपका बहुत ऋणी हूँ जो आपने मुझे अपनी चरणरज दी । मैं इसी मंगलरुपी भभूत को अपने माथे पर मलता रहता हूँ। आपका आभार व्यक्त करते हुए -
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