होली -एक विश्लेषण बहुत ही सारगर्भित विश्लेषण है जो लेखक ने वैदिक एवं पौराणिक पक्षों के तथ्यस्वरूप विवेचन का मंथन करके दिया है. यह है ही नहीं, उन्होंने लोकपरम्परा पर आधारित चाहे वह नव वर्ष के आगमन का हो या नई फसल के दाने घर में आने का हो या बुराई पर अच्छाई की विजय का हो या ईश्वर में आस्था का हो जो शाश्वत है, सनातन है एवं सतत है अर्थात जो अविनाशी है इसीलिए विष्णु भक्त प्रह्लाद का कुछ नहीं बिगड़ा और उसकी बुआ होलिका जलकर राख हो गयी. इससे विश्लेषण से हमें बड़ी विशेष जानकारी मिली है. ऐसे जानकारी देने के लिए आदरणीय नीरवजी व डा० जय प्रकाश गुप्ता को बधाई देता हूँ.
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