Search This Blog

Monday, March 14, 2011

आई रे होली आई रे


आई रे होली आई रे ,
भर पिचकारी मो मारी रे।
गुलाब ने गुब्बारौ मारौ
चंपा ने हरौ रंग डारौ,
गेंदा ने गेंद, भर मारी,
सरसों की आई बारी रे ।
आई रे होली आई रे। ।
बेनी गजरा रंग दीयौ ,
कंचन टीकौ रंग दीयौ ,
बिंदिया रंग दई, री सारी
नैनन की आब बिगारी रे ।
आई रे होली आई रे । ।
बलुआ आऔ नंदू आऔ ,
हंसा आऔ ढ़पढ़प लाऔ,
मंसुखा ने मारी अगारी ,
अंगिया की आब बिगारी रे।
आई रे होली आई रे । ।
बैयां मेरी दोउ पकड लीनी,
मुखड़ा पै अबीर रगड़ दीनी,
और रगडी, कारौंछ कारी ,
गालन की आब बिगारी रे।
आई रे होली आई रे । ।
सिर पै डारी बाल्टी भरकै,
आगे पीछे से तर करकै,
और लिपटके थपकी मारी ,
टपटप टपक रही, सारी रे ।
आई रे होली आई रे । ।
गटुआ नाई दौड़ के आऔ ,
बुडढ़ेन कुं फाग रंग छाऔ ,
ससुरा ने रंग भर भर मारी ,
आँगन में डुकरिया ठारी रे ।
आई रे होली आई रे । ।
भगवान सिंह हंस

No comments: