मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। यह सुना था,पढ़ा था,मगर पंडित सुरेश नीरव के संदर्भ में इसे मैंने अपनी आखों के सामने फलित होते देखा है। निश्छल मन से लोगों के लिए काम करना अपने से छोटों को ही नहीं अपने बुजुर्गों को भी आगे ले जाने की मंशा जिस व्यक्ति के संस्कार हों उसे सफलता मिलती ही है। जयलोकमंगल तो एक नमूना है नीरवजी को तो हर कदम पर सफलता ही मिलेगी मेरी शुभ कामनाएं।
जगदीश परमार
-व्हाइटहाउस,ग्वालियर
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