जयलोकमंगल को सभी साथियों को सूचित करते हुए हमें खुशी हो रही है कि जयलोक मंगल के साथियों को अपनी रचनाएं अब फेसबुक पर भी देखने को मिलेंगी। और इस तरह आप एक और बड़े वर्ग से जुड़ सकेंगे।
श्री भगवानसिंह हंसजी ने शब्दों के पार की बड़ी सटीक व्याख्या की है। उनके शब्द उनकी ही तरह पवित्र और पाकीजा हैं। पूरी तरह से भरत चरित की तुलसीगंध में महकते। और आत्मीयता के रंग में दमकते। कल ही कल में फेसबुक पर हमारे 700 नए सदस्य बने हैं।
सुनिए...
जयलोक मंगल के पढ़नेवाले अब 10,333 हो चुके हैं। बगल में लगे मीटर में देखें। सहयोग के लिए आप सभी को धन्यवाद..
पंडित सुरेश नीरव
श्री भगवानसिंह हंसजी ने शब्दों के पार की बड़ी सटीक व्याख्या की है। उनके शब्द उनकी ही तरह पवित्र और पाकीजा हैं। पूरी तरह से भरत चरित की तुलसीगंध में महकते। और आत्मीयता के रंग में दमकते। कल ही कल में फेसबुक पर हमारे 700 नए सदस्य बने हैं।
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