मेरी गैरहाजिरी के दोरान सुरेश जी मिस्र हो आये। मिस्र जाने वाले पिरामिड, स्फिंक्स और मम्मी को तो देखते ही है वहा का नाभि नृत्य (बेल्ली डांस) भी लोग आमतोर पर देखते है। कहीं ऐसा तो नहीं कि तहरीक चौक पर यह नृत्य देखा हो जिसकी प्रतिक्रिया हुस्नेमुबारक की सत्ता पर हुई। मुझे तो डर है कि सुरेश कहीं तुनीसिया और लीबिया भी तो चुपके से नहीं हो आये। कवि के शब्दों में बड़ी आग होती है और नीरव जी की कविता के प्रभाव को कौन नहीं जानता ? लीबिया तो मैं भी रहा हूँ मगर ६ वर्षो में भी वह प्रभाव पैदा नहीं कर पाया जो नीरव जी ने मिस्र में ६ दिन में कर दिखाया ।
बधाई हो।
अन्य घटनाओं - दुर्घटनाओं की चर्चा अगली बार -
विपिन चतुर्वेदी
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विपिन चतुर्वेदी
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