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Wednesday, April 20, 2011

लोकमंगल को रोज लगभग बारह हजार लोग पढ़ रहे हैं


लोकमंगल को रोज लगभग बारह हजार लोग पढ़ रहे हैं
0 आज बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर राष्ट्रीय सहारा के मनोज दीक्षित को एक बेहतरीन गीत के साथ देखा,बहुत अच्छा लगा। उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि नियमित लिखें।
0 श्री भगवानसिंह हंस ने एक मुक्तसर-सी स्थानीय यात्रा का अखिल भारतीय प्रस्तुतीकरण कर यह बता दिया है कि एक छोटी-सी अनुभूति को कैसे महाकाव्य में ढाला जा सकता है। उनकी इस हुनरमंदी का मैं सपरिवार कायल हूं। आखिर परमहंस जो ठहरे।
आज वे दूरदर्शन के एक कार्यक्रम में मिलनेवाले हैं। बाकी बातें वहां होंगीं। उनके साथ  रजनीकांत राजू,सुश्री दयावती, मृगेन्द्र मकबूल और अरविंद पथिक भी होंगे। एक अच्छा मिलन समारोह हो जाएगा।
0 ब्लॉग पर नित्यानंद तुषार.अऱविंद योगी,सुरेश ठाकुर,सुजाता मिश्रा, पंकज अंगार खूब लिख रहे हैं। उन्हें भी ढेरों बधाई..
जयलोकमंगल...
पंडित सुरेश नीरव

1 comment:

साहित्यधारा said...

बहुत ही सुन्दर और अच्छा लेख