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Tuesday, April 19, 2011

आंचलिक यात्रा

आदरणीय पंडित नीरवजी व  श्री अरविन्द पथिकजी के साथ दूरदर्शन मंडी हाउस से हसनपुर डिपो तक का सफ़र लालरंग की कर में बहुत ही सुखद वातावरण में बहुत सारी यादगारों के मंसूबे अपने आँचल में समेटे हुए भीनी-भीनी ढ़लती हुई संध्या जो अपने घनत्व को सघनता की ओर परोस रही थी के हँसते हुए, गीत गाते हुए और कुशलता की पूछ-ताछ में ऐसे बीत गए जैसे पता ही नहीं पथिकजी अपनी कार की कुशल ड्राविंग में पैतरा काटकर कब मंडी हॉउस से हसनपुर डिपो पहुँच गए. काफी अन्तराल के बाद ऐसा सुखद सान्निध्य श्रीनीरवजी और श्री पथिक के साथ मिला. यह और कोई नहीं बल्कि यह एक पारिवारिक आँचलपुर की आंचलिक यात्रा थी जहाँ पर सुरा नहीं बल्कि सरस, म्रदुल और मिठास से भरी एक स्वरलहरी थी. मुझे बहुत अच्छा लगा और इस अकथित प्यार से मैं आनंदसागर में डुबकी लगाने लगा. मैं इस सुखद यात्रा के लिए श्रे नीरवजी और श्री पथिकजी का आभार व्यक्त करता हूँ और नमन करता हूँ. जय लोकमंगल.


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