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Monday, April 4, 2011

सूरज अंकल कुल्फी खाओ


नए संवत्सर की जयलोकमंगल के सभी साथियों को हार्दिक बधाइयां
तीन बाल कविताएं-
सूरज अंकल कुल्फी खाओ
सूरज अंकल कुल्फी खाओ
धरती से गर्मी दूर भगाओ
आज हवा की गुल्लक से देखो
जलते शोले गिरते हैं
टॉमी,जैरी जीभ निकाले
इधर-उधर फिरते हैं।
बादल में आंगन के
बरखा रानी को भिजवाओ
सूरज अंकल कुल्फी खाओ
धरती से गर्मी दूर भगाओ।

फूलों को आ रहा पसीना
मुश्किल है तितली का जीना
पानी की किल्लत में देखो
कोल्ड ड्रिंक पड़ता है पीना
रिमझिम-रिमझिमवाला म्यूजिक
हमको जल्दी से सुनवाओ
सूरज अंकल कुल्फी खाओ
धरती से गर्मी दूर भगाओ।

बंदर की पिकनिक
जब टोली बंदर की पिकनिक
छत पर मेरे मनाती है
तब स्पाइडरमैन तुम्हारी
याद बहुत आती है.
तुम क्यों साथ ना इनके आते
क्या इनसे डरते हो
फिल्मों में तो करतब वैसे
सब इनके-जैसे करते हो
लगता है घर में मंकी आंटी
तुमको डांट लगाती है
जब टोली बंदर की पिकनिक
छत मेरे मनाती है
तब स्पाइडरमैन तुम्हारी
याद बहुत आती है।

ये चूहा कुछ खास है

इक चूहा टीवी पर आता
नाम मिक्की माउस बतलाता
नखरे हीरो-जैसे दिखलाता
सजा-धजा हरदम इठलाता
एक सजाकर पी.ए. चुहिया
रखता अपने साथ है
ये चूहा कुछ खास है।
अमरीका की चिंदी से इसके
सूट सिला करते हैं
लंच-डिनर में पिज्जा-बर्गर
रोज़ मिला करते हैं
रोबदार मूंछों में देखो
लगता सबका बॉस है
ये चूहा कुछ खास है।
-सुरेश नीरव
आई-204,गोविंदपुरम,ग़ज़ियाबाद



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