यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Tuesday, April 26, 2011
आपने कहा
नारीत्व का अभिशाप नारी की दुर्बलता बनकर रह गया। नारी का होना उसका अभिशाप क्यों? शायद यह अधिक कहना अधिक सही होगा ; नारी की दुर्बलता उसका अभिशाप बन गई।
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