यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Sunday, April 3, 2011
तुम्हें कैसे भुला दें हम
तुम्हीं से दिन निकलता है ,तुम्हीं से रात ढलती है
तुम्हें पाने की इस दिल में निरंतर आग जलती है
तुम्हें कैसे न सोचें हम , तुम्हें कैसे भुला दें हम
तुम्हारा दिल धड़कता है तो अपनी साँस चलती है -
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