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Thursday, April 21, 2011

उत्तर प्रश्नोपनिषद


उत्तर प्रश्नोपनिषद के प्रणेता पंडित सुरेश नीरवजी को मैं ह्रदय से नमन करता हुआ उनको इस सारत्व प्रज्ञता के कृष्णत्व की मीमांसा की प्रांजलता जीव - मानस में जिज्ञासा की उत्तर के माध्यम से कतिपय गहरी  पैठ  हेतु   बधाई  देता हूँ. उनके ह्रदय में प्रश्न उठा/ जिज्ञासा उठी तो उसका समाधान उत्तर की मीमांसा से विरद विद्वान् एवं   वेद विज्ञ  डा० राम गोपाल चतुर्वेदीजी  ने  बड़ी  ही अद्भुतता एवं  प्रज्ञता से दिए हैं, मैं श्रीचतुर्वेदीजी  को शत शत बधाई  देता हूँ और उनके चरणों में नमन करता हूँ, मैंने पहला ही प्रश्न उत्तर के साथ  पढ़ा.  बहुत ही आनंद आया क्योंकि जिज्ञासा के उत्तर रेखांकित ज्ञान के पीयूष सागर में डुबकी लगाने  लगा . जीवत्व में हंस किलोल करता है, उस हंस से परे परमहंस होता है और उस परम हंस से परे जो प्रग्य होता है वह कृष्ण होता है, उस कृष्ण परे से शून्य होता है जहाँ कृष्ण की सता विद्यमान है. क्रश यानी बहुत ही सूक्ष्म और ण यानी मेधा अर्थात अति सूक्षम मेधा जिसका शून्य में वास है जिसको हल की फाल से क्रश करके यानी उर्वरा करके जीवमानस तक पहुंचाया जाता है. वही गीतासार प्रणीत होता है. उस महती जिज्ञासा की अनुभूति प्रश्न के रूप में  जो अर्जुन के मन में उठी और सहज एवं  सरल उत्तर के  रूप में कृष्ण ने  अर्जुन  को दिए, वही प्रश्नोत्तर शैली में प्रणीत  मीमांसा गीता कहलायी. वैसे ही उसी प्रश्नोत्तर शैली में पंडित सुरेश नीरवजी ने  उत्तर प्रश्नोपनिषद नामक अद्भुत दर्शन जनमानस के हाथों में पहुंचाया है. कौन श्रेष्ठ है- प्रश्नकर्ता  या उत्तरदाता, बताना मेरे जैसे अल्पज्ञ से बड़ा ही  दुरूह विषय है. बस इतना ही कह सकता हूँ कि दोनों ही तराजू के पलड़े में रखे वह भार हैं जिससे तराजू का बौन्दा अपना बैलेंस बरावर बनाये हुए है. प्रष्टा भी परखना चाहता है उत्तरदाता को कि आप  कितने पानी में हैं  और उत्तरदाता भी उस प्रज्ञता के अवगाह सागर में प्रष्टा को गोता लगवाता  है कि देख ज्ञान की कितनी गहरी पैठ है. शब्दऋषि एवं  महर्षि पंडित सुरेश नीरवजी  का  प्रश्नोत्तर शैली में यह दूसरा दर्शनशास्त्र है इससे पहले सर्वतोश प्रश्नोत्तर शतक विद्वतजनों की जिज्ञासा का नैसर्गिकता से  अवगाह से  प्रांजल सागर में अपनी पहुँच का पथ दिग्दर्शन कर रहा है. मैं पुनः  पंडित सुरेश नीरवजी और डा० राम गोपाल चतुर्वेदीजी  को बहुत-बहुत बधाई   देता हूँ. मेरे चरणवंदना  आपको. जय लोक मंगल.   9013456949
           

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