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Thursday, April 21, 2011

लोकमंगल को रोज लगभग तेरह हजार लोग पढ़ रहे हैं


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लोकमंगल को रोज लगभग तेरह हजार लोग पढ़ रहे हैं.....
 रचनाकारों को कोशिश करनी चाहिए कि वे नियमित लिखें। और अपनी बात व्यापक वर्ग तक पहुंचाएं
                 जयलोकमंगल...
पंडित सुरेश नीरव
* श्री बी.एल.गौड़ की नागरिक रचना अच्छी लगी।* श्री भगवानसिंह हंस का संस्मरण अच्छा लगा। * श्री प्रकाश प्रलय की क्षणिकाएं बढ़िया लगी।
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