सुश्री सुजाता मिश्राजी! आपको बधाई एक बेहतरीन गजल के लिए. निम्न शेर बहुत पसंद आया.
उजाड़ दिल का ठिकाना किसी को क्या मालूम.
हम अपने आपसे बिछड़े तो फिर कहाँ होंगे.
प्रतिक्रिया.
ये न पूछो दिल की दिल से बात.
यदि बिछड़े तो हम सरे जहाँ होंगे.
जय लोकमंगल
९०१३४५६९४९
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