ब्रह्द भरत चरित्र महाकाव्य से कुछ प्रसंग आपके लिए --
कहीं कोई कुशल विश्वासी . राज्य हड़पने का अभिलासी.
तंत्र में तो न सेंध लगाता .उस पर द्रष्टि होय चहुँ भ्राता.
राम भरत से कुशलक्षेम पूछते हैं और भरत रोते ही जाते हैं उनके आंसुओं की धार रुक नहीं रही है. भैया क्यों रो रहा है. कहीं कोई कुशल विशवासपात्र राज्य हडपने कि इच्छा तो नहीं कर रहा. किसी ने राज्य में सेंध तो नहीं लगा दी. उस पर चौतरफा द्रष्टि होनी चाहिए.
है न सेनापति शूर वीरा. रण कर्म दक्ष कुलीन धीरा.
पराक्रमी योद्धा बलवाना. क्या शौर्य परीक्षा ली नाना.
भरत! सेनापति शूर वीर है न. सभी योद्धा रणकौशल, दक्ष, कुलीन, धीर, पराक्रमी और बलवान हैं न. क्या उनकी शौर्य परीक्षा ली है.
क्या उनको मिल नृप सम्माना. सीम सुरक्षित रखि बहु नाना.
सैन्य को उचित वेतन भत्ता. यदि विलम्ब तो वे उन्मत्ता.
क्या उनको राजा का सम्मान मिलता हैं. सब तरह से सीम सुरक्षित रखनी चाहिए. सेना को उचित वेतन भत्ता मिलता है न. यदि विलम्ब हो जाये तो वे उन्मत्त हो जाते हैं.
तुम से स्नेह करें अधिकारी. मंत्री औ, प्रधानपद धारी.
उनका उद्यत त्याग निहारा. राम भरत को रहे उचारा.
सभी अधिकारी, मंत्री और प्रधानपद वाले तुम से स्नेह करते हैं न . उनके त्याग को तुमको देखना चाहिए. राम भरत को इस प्रकार समझा रहे हैं.
भरत क्या राजदूत विद्वाना. देशवासी कुशल बहु नाना.
देश भक्त औ, प्रतिभाशाली. करे बात स्वदेश हित वाली.
भरत! क्या राजदूत, विद्वान्, देशवासी, कुशल, देशभक्त, प्रतिभाशाली और अपने हित कि बात करते हैं न .
अरि पक्ष के जु अठारह, पंद्रह तीर्थ तिहार.
भरत! क्या गुप्तचरों से, करी जाँच परतार.
भरत! शत्रुपक्ष के अठारह तीर्थ ( मंत्री, पुरोहित, युवराज, सेनापति, द्वारपाल, अन्तःपुर का अध्यक्ष, कारागार का अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, धन का व्यय करने वाला सचिव, प्रदेष्टा, नगराध्यक्ष, कार्यनिमार्णकर्ता, धर्माध्यक्ष, सभाध्यक्ष, दंडपाल, दुर्गपाल, राष्ट्रसीमापाल और वनरक्षक) और अपने पक्ष के पंद्रह तीर्थ अर्थात अठारह तीर्थों में से आदि के तीन को छोड़कर शेष पंद्रह तीर्थों पर भी राजा को गुप्तचरों के द्वारा उनकी जाँच-पड़ताल करनी चाहिए. क्या ऐसा तुम करते हो.
महाकाव्य प्रणेता
प्रस्तुति - योगेश विकास
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