आरज़ू-ऐ-बहार है हम को
आपका इंतज़ार है हम को।
सारी दुनिया हसीन लगती है
इश्क का ही बुखार है हमको।
दिल की ज़िद जब से मान ली हमने
बस तभी से क़रार है हमको।
एक मिसरा ही बन के जी लूंगा
शेर में कर तो लें शुमार हम को।
तेरे रहमो- करम का क्या कहना
नेमतें भी मिलीं उधार हम को।
मृगेन्द्र मक़बूल
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