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Sunday, May 15, 2011

माँ के अमर दीवाने

 आदरणीय श्री नीरवजी आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ और जो आपने अपने सारगर्भित भाव  व आशीर्वचन  मुझे दिए हैं उन्हें  अंगीकार करता हूँ. आपने  क्रांतकारी अमर शहीदों (सुखदेव थापर यानी सुखदेव अदि )  की जो अपनी माँ के लिए अपनी माँ की गोद में सो गए, की याद दिलाई, के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई. मेरे उन्हें नमन. 
  
ये दीवानगी लुभाती ये  दीवानापन भाए,
फांसी नहीं, पुष्पहार  समझ वे मुस्कराए.
अमर हो   गए पूत,  माँ आँचल  सरसाये  
रचा इतिहास धरापर जनजन गुण गाये.
                                                 (हंस) 
             
आपकी  भारत माँ के अमर शहीदों पर जो प्रतिक्रिया  है, बहुत ही लाजवाव है और संज्ञानवर्धक है और उनको स्मरण किया है.  बधाई. प्रणाम.

आपने भारत के अमर शहीदों पर टिपण्णी लिखी है, बड़ी सारगर्भित एवं भावमयी है और याद किया है. बधाई, प्रणाम
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आपने अमर शहीदों को याद करके ब्लॉग में चार चाँद लगा दिए है. और श्री नीरवजी की भूमिका जो आपकी बुक लिए लिखी है, के लिए श्री नीरवजी को सहारा है, बाकई वे शब्द ऋषि हैं, उन्हें मेरे प्रणाम.

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