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Saturday, July 23, 2011

खरा ब्लॉग


बहुत दिनों बाद जयलोकमंगल देखा। बीएलगौड़ की कविता,पंडित सुरेश नीरव का मार्मिक व्यग्य,प्रकाश प्रलय की शब्दिकाएं और भाई घनश्याम वशिष्ठ की कारगिल पर रचना सभी ने बहुत प्रभावित किया। कम लिखा जाए मगर अच्छा लिखा जाए यह पहली शर्त होती है ब्लॉग लेखन की। इस मामले में जयलोकमंगल खरा उतरता है।
सभी रचनाकारों को बधाई..
-मुकेश परमार,संपादकः संस्कार सारथी

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