लघु कथा
विचित्र गोशाला
. . . . . . विश्व मोहन तिवारी, एयर वाइस मार्शल (से. नि.)
एक ऋषि थे; नित्य स्नान, ध्यान, श्रवण, मनन, निदिध्यासन तथा शिक्षण – प्रशिक्षण उनका जीवन था। उनका आश्रम था जो विशाल तो नहीं था, यद्यपि नालंदा या तक्षशिला से तो विशालतर ही था, सच कहें तो विराट था - जिसके उत्तर में हिमालय तथा दक्षीण में हिन्द महासागर था।
एक से वे चार हुए। वह आश्रम अपनी गोशाला के लिये प्रसिद्ध था, किन्तु उसमें सभी जानवरों का स्वागत होता था। किन्तु उसकी सबसे अधिक आश्चर्य वाली बात थी कि वे सभी जानवर जब वहां से निकलते थे तब वे मानव बनकर निकलते थॆ।
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