मेरी सोच यही कहती है कि पंडित नीरवजी ने अपने पुत्र बबलू और अपन स्वयम का कितना गहरा हास्य-व्यंग्य है कि पुत्र जो के जी का छात्र है, स्कूल जाने से मना कर देता है, कहता है कि आज मैं स्कूल नहीं जाऊंगा, झट बैग से अन्ना की टोपी निकालता है, टोपी पहनता है, कहता है कि आज मैं अन्ना के समर्थन मैं रामलीला मैदान में जाऊँगा, यह मेरी नैतिक जिम्मेदारी है, क्योंकि मैं भी एक भारत का नागरिक हूँ. पिता अपने पडौसियों से विचार-विमर्श करके छोटे-से बालक जो मैं अन्ना हूँ, के साथ भरपूर समर्थन देते हैं,
पंडितजी कहते हैं कि भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने की हर भारतीय नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है. पंडित सुरेश नीरव का मैं बहुत ही कायल हूँ कि अन्ना के समर्थन में एक करारा हास्य-व्यंग्य किया है. मेरे बार-बार नमन पंडितजी को . जय लोकमंगल.
power trends corruption and absolute power corrupts absolutely...hans
भगवान सिंह हंस
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