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Saturday, September 3, 2011

अनुपस्थिति एक अन्तराल

मैडम, मंजूऋषिजी  नमस्ते,  आप काफी समय से  ब्लॉग पर नहीं लिख रही हैं, कवयित्री की हैशियत से  आप कविता या व्यंग्य लिखकर अपनी उपस्थिति अवश्य दर्ज करायें.

 डा० प्रेमलता नीलामजी प्रणाम, आपकी    ब्लॉग पर अनुपस्थिति एक वार्ता का अन्तराल है, ब्लॉग पर लिखने   से पारस्परिक संपर्क बना रहता है, नई-नई कवितायेँ नई-नई भाव व्यंजना को जन्म देती हैं, हम जैसे कवियों का उत्साहवर्धन होता है, एक कविता ही है जो एक नए युग का निर्माण करती है, इसलिए डा० साहिबा आपसे निवेदन करता हूँ कि आप ब्लॉग पर अपनी कविता और गजलों के द्वारा अवश्य दर्शन देती रहीइए.
जय लोकमंगल.


भगवान सिंह हंस  


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