डॉ. कविता वाचक्नवी also commented on her स्थिति.
डॉ.
कविता ने लिखा:नमस्ते श्री सुरेश नीरव
"वैसे इन टेक्नीकल एक्स्क्यूजेस का कोई अर्थ है भी क्या? यह किसने कहा कि सरकारी प्रतिष्ठान है अथवा नहीं। देश बनाता है देश के लोगों से, उनकी मानसिकता, उनकी अच्छाई बुराई और उनके क्रियाकलापों, व्यवहारों और आदान -प्रदान से। देश की जनता, देश का मीडिया, देश का आर्थिक तंत्र, देश का युवावर्ग और बचपन, देश के सत्ता आदि सब तो उसी गुलाम खेल और उसके खिलाड़ियों को पोसने में सदा से लगे हैं। किसके पास सुध है कि उस देश का कोई राष्ट्रीय खेल भी है अथवा क्रिकेट एक दोयम दर्जे का आलसियों का सामंतवादी खेल है, जिसे दुनिया में वह देश भी प्रमुखता नहीं देता जिस देश का वह मूलतः है। अस्तु !
इंगलैंड से डॉ. कविता वाचक्नवी
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