सोचता हूं ये साल कैसा है
ग़ज़ल-
ये तो सोचो सवाल कैसा है
देश का आज, हाल कैसा है
जिससे मज़हब निकल नहीं पाते
साज़िशों का वो जाल कैसा है
आए दिन हादसे ही होते हैं
सोचता हूँ ये साल कैसा है
जान लेता है बे-गुनाहों की
आपका ये कमाल कैसा है
आपने आग को हवा दी थी
जल गए तो मलाल कैसा है
दुश्मनी से `तुषार` क्या हासिल
दोस्ती का ख़याल कैसा है
- - नित्यानंद `तुषार`
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