आदरणीय कर्नल विपिन चतुर्वेदीजी,
आपने उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान की कार्यप्रणाली पर अपनी जो व्यथा कही है वह आप जैसे तमाम हिंदी रचनाकारों का दर्द है। अफसोस है कि आपने तकनीकि शब्दकोष के लिए इतनी मेहनत की और पिछले हिंदी दिवस से इस हिंदी दिवस तक के समय मैं आपको महज आश्वासन ही मिले। यह राजभाषा के साथ सरकारी क्रूर मज़ाक है। बहरहाल आपकी निष्ठा और मेहनत रंग जरूर लाएगी ऐसा मेरा विश्वास है।मेरे पालागन..
पंडित सुरेश नीरव
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