आपने हिंदी के तथाकथित विद्वानों की एकता और अखंडता के सन्दर्भ में जो कुछ कहा है यदि वो इस बात के महत्व को समझ लें तो वो लोग भी मानव बन सकते हैं जो हिंदी की सेवा करने की वजाय आत्म प्रसंसा में मुग्ध रहते हैं ।
पथिक जी आपने जो साहित्य की सेवा की है वो अविस्मरनीय है । समाज धीरे धीरे ही कबीर को पहचान पाता है। आपके ह्रदय में जलती हुई देशप्रेम कीआग कभी ठंढी न हो ये मेरी शुभकामना है ।
आपका बड़ा भाई
अभिषेक मानव
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