यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Monday, October 10, 2011
यादें
जब भी दिल से तुझे याद करता हूं मैं खुशबुओं के नगर से गुज़रता हूं मैं नर्म एहसास का खुशनुमा अक्स बन लफ्ज़ के आईने में संवरता हूं मैं सुरेश नीरव
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