Search This Blog

Thursday, October 20, 2011

शुभकामनाएं


जनाब मकबूलजी,
बेहतरीन ग़ज़ल कही है। आपने। मन प्रसन्न हो गया। अमुमन ग़ज़ल में कोई एक-आध शेर हासिले ग़ज़ल होता है मगर आपकी इस ग़ज़ल में तो हर शेर हासिले ग़ज़ल शेर बन पड़ा है। भई वाह..क्या शेर कहे हैं।
00000000000000000000000000000000000
रजनीकांत राजूजी आप ठीक हो गए सुखद समाचार है। मैंने आपको प्रिडिक्ट किया था कि जून में कुछ नहीं होगा अक्टूबर में आप का समय खराब चलेगा। चलिए मुसीबत टल गई। फिर भी अभी अपना ध्यान आपको सतर्कतापूर्वक रखना है। मेरी शुभकामनाएं..
000000000000000000000000000000000000000
प्रकाश प्रलयजी,
आपके कंप्यूटर का मिजाज ठीक हो रहा है यह अच्छी बात दै। आप जल्दी गति पकड़ें मेरी शुभकामनाएं..
पंडित सुरेश नीरव

No comments: